डायलिसिस के संभावित दुष्प्रभाव: जानिए इससे जुड़ी जरूरी जानकारी

12 Mar, 2025
डायलिसिस के संभावित दुष्प्रभाव: जानिए इससे जुड़ी जरूरी जानकारी
किडनी हमारे शरीर के लिए बहुत जरूरी अंग है, क्योंकि यह खून को साफ करके toxins और extra fluid को बाहर निकालती है। लेकिन जब किसी व्यक्ति की किडनी फेल हो जाती है, तो शरीर से गंदगी निकालने के लिए डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। हालांकि, डायलिसिस से शरीर को कई दुष्प्रभाव (Side Effects) भी हो सकते हैं। इस लेख में हम आपको डायलिसिस से जुड़ी जानकारी, डायलिसिस के संभावित दुष्प्रभाव, डायलिसिस से होने वाले नुकसान और इससे बचने के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
डायलिसिस के संभावित दुष्प्रभाव
डायलिसिस के जोखिम और बचाव को समझना बहुत जरूरी है। डायलिसिस का असर शरीर पर कई तरीकों से पड़ता है, जैसे कि ब्लड प्रेशर में गिरावट, मांसपेशियों में दर्द, संक्रमण का खतरा और मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव।
1. ब्लड प्रेशर कम होना (Low Blood Pressure)
डायलिसिस के बाद की समस्याएं अक्सर मरीजों को प्रभावित कर सकती हैं। डायलिसिस के दौरान शरीर से ज्यादा मात्रा में फ्लूइड बाहर निकल जाने से ब्लड प्रेशर बहुत कम हो सकता है। इससे चक्कर आना, कमजोरी महसूस होना और कभी-कभी बेहोशी जैसी समस्या हो सकती है।
2. संक्रमण (Infection)
हीमोडायलिसिस के दौरान जिस जगह पर fistula या graft लगाया जाता है, वहां इंफेक्शन होने का खतरा रहता है। इसी तरह, peritoneal डायलिसिस में पेट में catheter के जरिए संक्रमण हो सकता है, जिससे बुखार, पेट दर्द और उल्टी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
3. मांसपेशियों में ऐंठन (Muscle Cramps)
डायलिसिस के दौरान शरीर से electrolytes और minerals के असंतुलन के कारण पैरों और शरीर के अन्य हिस्सों में cramps हो सकती है। यह समस्या खासतौर पर पैरों, हाथों और शरीर के अन्य हिस्सों में महसूस की जा सकती है, जिससे रोगी को असहजता और दर्द का सामना करना पड़ता है।
4. खुजली और रूखी त्वचा (Itchy & Dry Skin)
डायलिसिस के कारण शरीर में फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ सकती है, जिससे त्वचा में खुजली और रूखापन महसूस होता है। फॉस्फोरस का स्तर बढ़ने से त्वचा पर जलन, दाने और असहजता भी हो सकती है। इसके अलावा, डायलिसिस कराने वाले मरीजों में त्वचा की नमी कम हो जाती है, जिससे त्वचा फटने, लाल होने और अधिक संवेदनशील होने की संभावना रहती है। इसे रोकने के लिए मरीजों को डॉक्टर द्वारा सुझाए गए आहार को खाना चाहिए, त्वचा पर moisturizer लगाना चाहिए और अधिक गर्म पानी से स्नान करने से बचना चाहिए।
5. रक्त के थक्के बनना (Blood Clots)
डायलिसिस के लिए लगाए गए catheter में ब्लड क्लॉट्स बनने का खतरा रहता है, जिससे ब्लड फ्लो प्रभावित हो सकता है।
6. वजन बढ़ना और सूजन (Weight Gain & Swelling)
Peritoneal डायलिसिस करने वाले मरीजों में पेट में fluid जमा होने के कारण सूजन आ सकती है। साथ ही, डायलिसिस के दौरान इस्तेमाल होने वाले घोल में शुगर होने से वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।
7. मानसिक स्वास्थ्य पर असर (Mental Health Issues)
डायलिसिस लंबे समय तक चलने वाला ट्रीटमेंट है, जिससे मरीजों में डिप्रेशन, चिंता (Anxiety) और मानसिक तनाव की समस्या हो सकती है।
8. यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव (Sexual Side Effects)
डायलिसिस लेने वाले मरीजों में यौन इच्छा (Libido) में कमी, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन (Erectile Dysfunction) और महिलाओं में वजाइनल ड्रायनेस (Vaginal Dryness) जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
डायलिसिस से बचने के उपाय
अगर आप Dialysis Side Effects से बचना चाहते हैं तो अपनी जीवनशैली में बदलाव लाना बहुत जरूरी है। आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ उपाय अपनाकर किडनी को हेल्दी रखा जा सकता है और डायलिसिस की जरूरत को कम किया जा सकता है।
हर्बल उपचार (Herbal Remedies)
- पुनर्नवा (Punarnava): यह हर्ब किडनी को डिटॉक्स करने और यूरिन आउटपुट बढ़ाने में मदद करती है।
- गोक्षुरा (Gokshura): यह हर्ब किडनी फंक्शन को सुधारने और सूजन को कम करने में मदद करता है।
- वरुण (Varun): यह प्राकृतिक रूप से किडनी की सफाई करने और इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है।
GRAD सिस्टम – रक्त संचार में सुधार
शुद्धि HiiMS उन्नत ग्रैविटी-आधारित थेरेपी का उपयोग करता है, जैसे हेड-डाउन टिल्ट थेरेपी (HDT) और हॉट वाटर इमर्शन थेरेपी, जो रक्त संचार को बढ़ाने और किडनी की कार्यक्षमता को बेहतर बनाने में मदद करती हैं।
हेड-डाउन टिल्ट (HDT) थेरेपी: रक्त प्रवाह को बढ़ावा देना
हेड-डाउन टिल्ट थेरेपी को 5°-15° के कोण पर झुका कर किया जाता है, जो समस्या की गंभीरता के अनुसार तय किया जाता है। यह विशेष रूप से किडनी से जुड़ी समस्याओं के लिए फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि यह गुर्दों में दबाव बढ़ाने में मदद कर सकती है। हालांकि, गुर्दे की बीमारियों वाले मरीजों के लिए किसी भी प्रकार की मुद्रा-आधारित थेरेपी को डॉक्टर की निगरानी में किया जाना चाहिए।
Head Down Tilt थेरेपी के फायदे:
- रक्त संचार में सुधार – पैरों से किडनी तक रक्त प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे बचे हुए स्वस्थ नेफ्रॉन को अपशिष्ट छानने में सहायता मिलती है।
- हार्मोन संतुलन – रक्तचाप और द्रव संतुलन को नियंत्रित करने वाले हार्मोनों को संतुलित करता है।
- शरीर में द्रव जमाव को कम करता है – ऊतकों की मरम्मत में सहायता करता है और शरीर में अतिरिक्त तरल पदार्थ के जमाव को रोकता है।
Hot Water Immersion थेरेपी क्या है?
Hot Water Immersion Therapy के दौरान, मरीजों को चिकित्सकीय देखरेख में एक टब में लगभग 40°C गर्म पानी में दो घंटे तक बिठाया जाता है। इस थेरेपी का मुख्य लाभ रक्त संचार को बढ़ावा देना, शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालना और तनाव कम करना है, जिससे किडनी का स्वास्थ्य बेहतर होता है। इस थेरेपी के जरिये हमारी स्किन (त्वचा), किडनी का काम करती है और पसीने के जरिये शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं।
पहले मरीजों की पूरी तरह से चिकित्सकीय जांच की जाती है, जिसमें वजन, रक्तचाप और मधुमेह स्तर की जांच शामिल होती है। यह व्यक्तिगत देखभाल सुनिश्चित करती है कि थेरेपी हर मरीज की जरूरतों के अनुसार हो, जिससे उन्हें विशेष ध्यान और देखभाल का अनुभव हो।
किडनी रोगियों के लिए Hot Water Immersion थेरेपी के लाभ
- रक्त संचार में सुधार – इस प्रक्रिया से रक्त प्रवाह बेहतर होता है, जिससे किडनी को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की आपूर्ति बढ़ती है।
- प्राकृतिक डिटॉक्सिफिकेशन – शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद मिलती है, जिससे किडनी की क्षमता बेहतर होती है।
- तनाव और सूजन में कमी – यह थेरेपी तनाव के हानिकारक प्रभावों को कम करती है और किडनी को आराम देने में सहायक होती है।
- पाचन तंत्र को मजबूती – Chondrus crispus का सेवन पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में सहायक होता है और संपूर्ण शरीर के स्वास्थ्य को बनाए रखता है
डीआईपी डाइट (DIP Diet)
डायलिसिस के जोखिम से बचने के लिए एक संतुलित और हेल्दी डाइट जरूरी है। डीआईपी डाइट में अधिक मात्रा में फल, सब्जियां, मिलेट्स (ज्वार, बाजरा, रागी), और कम नमक वाले भोजन को प्राथमिकता दी जाती है।
डाइट चार्ट:
- सुबह का नाश्ता (7-9 AM): ताजे फल + मिलेट्स
- दोपहर का खाना (1-2 PM): मिलेट्स + हरी सब्जियां + सलाद
- रात का खाना (सूर्यास्त से पहले): हल्का भोजन या सिर्फ फल और सलाद
समय-सीमित भोजन (Time-Restricted Eating)
दिन में सही समय पर भोजन करने से किडनी की कार्यक्षमता बनी रहती है और पाचन तंत्र मजबूत होता है।
पंचकर्म थेरेपी
यह प्राचीन आयुर्वेदिक उपचार शरीर में एकत्रित toxins को निकालने में मदद करता है, जिससे किडनी की कार्यक्षमता में सुधार होता है और संपूर्ण स्वास्थ्य व ऊर्जा स्तर बढ़ते हैं।
निष्कर्ष
डायलिसिस किडनी फेलियर के मरीजों के लिए एक आवश्यक उपचार हो सकता है, लेकिन इसके कई दुष्प्रभाव भी होते हैं। डायलिसिस के संभावित दुष्प्रभाव से बचने के लिए आयुर्वेद, प्राकृतिक इलाज और जीवनशैली में बदलाव करना जरूरी है। अगर सही समय पर उपचार लिया जाए और स्वस्थ आदतें अपनाई जाएं, तो डायलिसिस की जरूरत को टाला जा सकता है।
अगर आप या आपका कोई प्रियजन डायलिसिस के जोखिम और बचाव को लेकर चिंतित हैं, तो में प्राकृतिक इलाज और आयुर्वेदिक उपचार की मदद से बिना डायलिसिस के किडनी को स्वस्थ बनाए रखने के लिए विशेषज्ञों की सलाह लें।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न. ब्लड प्रेशर कम क्यों होता है?
उत्तर. डायलिसिस के दौरान शरीर से अधिक मात्रा में तरल बाहर निकल जाने के कारण ब्लड प्रेशर कम हो सकता है।
प्रश्न. डायलिसिस से संक्रमण का खतरा क्यों होता है?
उत्तर. डायलिसिस में fistula या graft की जगह और peritoneal डायलिसिस में catheter कैथेटर के कारण संक्रमण का जोखिम बढ़ जाता है।
प्रश्न. डायलिसिस के कारण मांसपेशियों में ऐंठन क्यों होती है?
उत्तर. Electrolytes and minerals के असंतुलन से मांसपेशियों में ऐंठन हो सकती है।
प्रश्न. डायलिसिस के दौरान खुजली और रूखी त्वचा क्यों होती है?
उत्तर. शरीर में फॉस्फोरस की अधिकता से त्वचा में खुजली और जलन हो सकती है।
प्रश्न. डायलिसिस से वजन बढ़ने और सूजन की समस्या क्यों होती है?
उत्तर. Peritoneal डायलिसिस के दौरान शरीर में तरल जमा हो सकता है, और शुगरयुक्त घोल के कारण वजन बढ़ सकता है।
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